राष्ट्रीय संवत्
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नेपाल का राष्ट्रीय सम्वत विक्रम सम्वत के सामान है।
भारत का राष्ट्रीय (शक) सम्वत क्यों विक्रम-सम्वत के अनुरूप है?
इसका एक प्रधान कारण यह प्रतीत होता है कि भले ही राष्ट्रीय पञ्चाङ्ग (Calendar) को 'शक' से संबद्ध कर उसे भारतीयता के आवरण में प्रस्तुत किया गया है, वह मूलतः इसे ही ध्वनित करता है कि भारत का इतिहास ईसा के बाद शुरू होता है। 'शक' इसीलिए प्रयुक्त किया गया ताकि भारतीय लोगों को यह अपने इतिहास से संबंधित प्रतीत हो।
रोचक तथ्य यह है कि विक्रम सम्वत का प्रारम्भ ईसा पूर्व 53 वर्ष पहले हुआ।
इस प्रकार भारत के राष्ट्रीय पञ्चाङ्ग (कैलेंडर) को शक-सम्वत से जोड़कर एक तीर से दो चिड़ियाओं का शिकार किया गया।
रोचक तथ्य यह भी है कि नेपाल में यह सम्वत भारत के स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में अस्तित्व में आने से भी पहले से प्रचलित था।
नेपाल के शासक 'बीर बिक्रम' का नाम तो सुप्रसिद्ध है ही।
फिर विक्रम जो विक्रमादित्य था और जिसके नाम से यह सम्वत प्रारम्भ हुआ उसे यदि नेपाल आज भी अपना राष्ट्रीय सम्वत मानता है तो भारत को इसे राष्ट्रीय सम्वत मानने से परहेज क्यों है?
क्या यह विचारणीय विषय नहीं है?
विक्रम अर्थात् विक्रमादित्य न सिर्फ भारत का ऐतिहासिक बल्कि साहित्यिक, सांस्कृतिक, लोक-संस्कृति का पात्र भी है। विक्रमोर्वशीयम् कालिदास का प्रसिद्ध संस्कृत नाटक है जिसे 5 अंकों में लिखा गया था।
इस नाटक में उर्वशी की विद्यमानता इसका सूचक है कि भारत का इतिहास न सिर्फ लौकिक बल्कि पौराणिक संदर्भों से संबद्ध है।
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नेपाल का राष्ट्रीय सम्वत विक्रम सम्वत के सामान है।
भारत का राष्ट्रीय (शक) सम्वत क्यों विक्रम-सम्वत के अनुरूप है?
इसका एक प्रधान कारण यह प्रतीत होता है कि भले ही राष्ट्रीय पञ्चाङ्ग (Calendar) को 'शक' से संबद्ध कर उसे भारतीयता के आवरण में प्रस्तुत किया गया है, वह मूलतः इसे ही ध्वनित करता है कि भारत का इतिहास ईसा के बाद शुरू होता है। 'शक' इसीलिए प्रयुक्त किया गया ताकि भारतीय लोगों को यह अपने इतिहास से संबंधित प्रतीत हो।
रोचक तथ्य यह है कि विक्रम सम्वत का प्रारम्भ ईसा पूर्व 53 वर्ष पहले हुआ।
इस प्रकार भारत के राष्ट्रीय पञ्चाङ्ग (कैलेंडर) को शक-सम्वत से जोड़कर एक तीर से दो चिड़ियाओं का शिकार किया गया।
रोचक तथ्य यह भी है कि नेपाल में यह सम्वत भारत के स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में अस्तित्व में आने से भी पहले से प्रचलित था।
नेपाल के शासक 'बीर बिक्रम' का नाम तो सुप्रसिद्ध है ही।
फिर विक्रम जो विक्रमादित्य था और जिसके नाम से यह सम्वत प्रारम्भ हुआ उसे यदि नेपाल आज भी अपना राष्ट्रीय सम्वत मानता है तो भारत को इसे राष्ट्रीय सम्वत मानने से परहेज क्यों है?
क्या यह विचारणीय विषय नहीं है?
विक्रम अर्थात् विक्रमादित्य न सिर्फ भारत का ऐतिहासिक बल्कि साहित्यिक, सांस्कृतिक, लोक-संस्कृति का पात्र भी है। विक्रमोर्वशीयम् कालिदास का प्रसिद्ध संस्कृत नाटक है जिसे 5 अंकों में लिखा गया था।
इस नाटक में उर्वशी की विद्यमानता इसका सूचक है कि भारत का इतिहास न सिर्फ लौकिक बल्कि पौराणिक संदर्भों से संबद्ध है।
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