August 21, 2014

कल का सपना : ध्वंस का उल्लास -17

कल का सपना : ध्वंस का उल्लास -17
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राम (रीतेन्द्र शर्मा) से बहुत समय बाद आज संवाद हुआ।  और फिर आज ही एक कविता लिखी,
It is all in the Stars   
उस वक़्त मैं वह मुलाक़ात याद करने की कोशिश कर रहा था जो डॉ. वेदप्रताप वैदिक तथा हाफिज सईद के बीच 2 जुलाई 2014 को हुई थी।
दरअसल मैं 15 अगस्त के लाल किले पर दिए गए प्रधानमंत्री के भाषण के उस अंश के बारे में सोच रहा था, जिसमें उन्होंने सिद्धार्थ और देवदत्त के बीच हुए संवाद का जिक्र किया था।
'मारनेवाले से बचानेवाला बड़ा होता है'
सिद्धार्थ या देवदत्त की माँ ने निर्णय दिया था, और हंस सिद्धार्थ को मिल गया जिसने उसके शरीर पर देवदत्त के तीर से लगे घाव का उपचार किया।
प्रधानमंत्री ने इस कथा के पात्रों का सीधा उल्लेख तो नहीं किया, लेकिन मैंने इसे इसी रूप में पढ़ा था।
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हाफिज सईद से मिलने और मिलकर सुरक्षित लौट जाने से यही साबित होता है कि बचानेवाला अवश्य ही मारनेवाले से बड़ा होता है।  खुद डॉ.वेदप्रताप वैदिक को लग रहा था कि उन्हें हाफिज सईद से नहीं मिलना चाहिए था। खैर अंत भला सो सब भला।
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मुझे लगता है कि इस घटना और इसके समय से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं, मैं नहीं कह सकता कि जब श्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में राजकुमार सिद्धार्थ और देवदत्त के इस प्रसंग का जिक्र किया तो उन्होंने यह डॉ.वेदप्रताप वैदिक और हाफिज सईद की मुलाक़ात के सन्दर्भ में किया था या किसी और वज़ह से किया होगा।
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ध्वंस का उल्लास अभी जारी है।
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