April 18, 2014

इन दिनों -18/04/2014

 इन दिनों -18 /04 /2014
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© विनय कुमार वैद्य 

April is the cruel month .... !
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मेरे लिए वाक़ई यह सच है ।
जब आप युद्ध से पलायन कर रहे होते हैं तो यह भी युद्ध का ही हिस्सा होता है । लेकिन युद्ध अगर आप पर थोपा गया हो तो आप क्या कर सकते हैं?
तानाशाह हर कोई होता है । फ़र्क बस इतना है कुछ लोग अधिक चालाक होते हैं कुछ कम चालाक होते हैं ।
आक्रान्ता सोचता है कि वह जीत जाएगा, लेकिन सच यह है कि वक़्त के अलावा कोई कभी नहीं जीतता ।
छद्म युद्ध और प्रच्छन्न योद्धा !
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हर तरफ धुन्ध है और धुन्ध से कुछ आकृतियाँ उभरती हैं । चट्टान से उकेरी प्रतिमाओं जैसी सख़्त । जो न टूटती हैं न पिघलती हैं,  मैं अपना C  1- 01 लिए आसमान में पल पल बदलती उन चट्टानों को कैमरे में क़ैद कर लेता हूँ । और भूल जाता हूँ कि मैं खुद भी धुन्ध से उभरी एक प्रतिमा हूँ ।
एक सतत युद्ध जारी है ।
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छद्म युद्ध और प्रच्छन्न योद्धा !
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कृपया इसे यहाँ देखें ! 
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