February 06, 2020

रोमाञ्च!

कविता
प्रतियोगी प्रतिभाएँ 
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हँसें खिलखिलाएँ,
भरमाएँ शरमाएँ,
डराएँ धमकाएँ,
मुसकाएँ लुभाएँ,
फ़ुसलाएँ बहलाएँ,
सहलाएँ बल खाएँ,
मुरझाएँ कुम्हलाएँ,
इर्द गिर्द दाएँ बाएँ,
लजाएँ ललचाएँ,
बहुत समीप से,
छूकर गुज़र जाएँ,
पकड़ में न आएँ!
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