January 12, 2020

"Vinay! How was the Gandaki River.?"

त्रिवेणी घाट 
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स्कन्द-पुराण अवंतिका-खण्ड के अनुसार क्षाता नदी महाकाल वन क्षेत्र में क्षिप्रा नदी से मिलती है।
संभवतः यही क्षाता नदी कालान्तर में खान नदी हो गयी है (क्योंकि ऐसा वर्णन स्कन्द-पुराण में देखा जा सकता है।)
पहले क्षाता नदी नर्मदा में मिलती थी, किन्तु बाद में नर्मदा से विलग हो गयी, और क्षिप्रा की दिशा में बहने लगी। क्षिप्रा उत्तरवाहिनी है, जबकि नर्मदा पश्चिमवाहिनी।
इसी क्रम में जिस स्थान पर वर्त्तमान में क्षिप्रा और क्षाता का संगम हुआ, वहीं स्थित शनि-विग्रह (तथा नवग्रह) मंदिर का उल्लेख भी इस पुराण में है।
इस प्रकार क्षिप्रा का उद्गम वही स्थान है जिसके समीप क्षिप्रा नाम का कस्बा स्थित है।
देवास से साँवेर जाते हुए यह स्थान बीच में आता है।
गूगल मैप्स पर मैंने 'गुरुकुल' का वर्णन (review)लिखा था।
तब गूगल मैप्स ने पूछा था :
"Vinay! How was the Gandaki River.?"
गूगल-मैप्स कुछ समय से खान नदी को गण्डकी / Gandaki नाम से दर्शा रहा है।
स्पष्ट है कि जैसे प्रयागराज में यमुना गंगा से मिलती है, उसी तरह गण्डकी क्षिप्रा से।
संस्कृत 'गम्' धातु से गण्डकी तथा गंगा दोनों की व्युत्पत्ति की जा सकती है।
दुर्भाग्य से हमने पिछले १०० वर्षों में खान नदी को नाले में बदल दिया।
इसी प्रकार यमुना को भी मलिन कर दिया।
यदि गंगा, यमुना, क्षिप्रा और गण्डकी में शहरों-बस्तियों का कचरा और गंदगी न बहाया जाता तो आज हमें सिंहस्थ, मकर-संक्रांति, सोमवती और शनिश्चरी अमावस्या जैसे पर्वों पर नर्मदा का पानी क्षिप्रा में छोड़ने की ज़रुरत न होती।
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