August 09, 2017

कविताएँ /

ईश्वर, नाम और प्रेम
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कुछ उकेरे थे रेत पर,
कुछ उकेरे थे वृक्षों पर,
रेत को उड़ा ले गई पवन,
वृक्ष उखड़ या कट गए,
प्रेम अब घूमता है आवारा,
अजनबी, बेघर, लावारिस !
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ईश्वर
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तेरी तलाश थी जब तक, तू न मिला,
और जब तू मिल गया तो मैं न रहा!
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नाम : प्रेम,
प्रेम
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’प्रेम’ जब सीरियस था तो उसे आई सी यू में भर्ती कराना पड़ा ।
जब उसे ऑक्सीजन लगाई जा रही थी तो उसने प्रतिरोध किया ।
फिर भी बलपूर्वक लगा दी गई ।
लेकिन जल्दी ही ऑक्सीजन को हटाना पड़ा,
क्योंकि अब उसका कोई मतलब नहीं था ।
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