November 02, 2016

आज की कविता / चश्मे

आज की कविता / चश्मे
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चश्मे पानी के फ़ूटते हैं दिल से,
और आँखों में नमी सी हुआ करती है,
दिल में प्यार का सागर ग़र हो,
कौन सी ज़िन्दगी में कमी रहती है?
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चश्मे शीशे के फ़ूटते हैं जब,
दुनिया धुँधली दिखाई देती है,
प्यार की रौशनी हो आँखों में,
रूह फ़िर भी दिखाई देती है ।
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