July 06, 2015

आज की कविता / विवेक

आज की कविता / विवेक
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(सन्दर्भ- इन्द्रधनु के रंग
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हिंस्र जीवों से भरा है अति गहन,
भोग का प्रवाह पर संकीर्ण है,
इस तरफ़ या उस तरफ़ तो बच सकेंगे,
मझधार में संभावना तो क्षीण है ।
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