April 22, 2015

आज की नज़्म !

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आज की नज़्म !
वक़्त के साथ साथ मौसम भी बदल जाते हैं,
दोस्त बदल जाते हैं दुश्मन भी बदल जाते हैं,
जब हवा चलती है बदलाव की तो ग़ुल भी,
ग़ुल-ए-रंग भी, तहज़ीब और इंसां भी, बदल जाते हैं
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फ़िर भी है क़ायनात इन्सां की,
फ़िर भी है दौलत-ओ-क़द्र ईमां की,
वो बदलते नहीं हर्ग़िज़ किसी भी सूरत में,
हाँ मगर पैमाने मीज़ान बदल जाते हैं ।
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April 01, 2015

|| कृष्णं शरणम् ||

|| कृष्णं शरणम् ||
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आज की संस्कृत रचना :
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लोको मोहितो कामेन, कामो तु कृष्णेन सः |
यो कृष्णं शरणम् व्रजति क्षिप्रं कामेन मुच्यते |
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संसार में लोग काम (कामनाओं) से मोहित होकर क्लेश उठाते रहते हैं, जबकि काम स्वयं भी कृष्ण से मोहित है, इसलिए जो कृष्ण की शरण जाते हैं उन्हें कामनाएं व्यथित नहीं करतीं |
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