February 17, 2015

आज की संस्कृत रचना

आज की संस्कृत रचना
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गौमेधम् यज्ञम् मुनयः
राजर्षयः अश्वमेधम् |
मेधितया मेधितव्यान्
यज्ञान् ब्राह्मणैः सर्वैः ||
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अर्थ :
कुछ मननशील मनुष्य  गौ के यथार्थ तत्व / स्वरूप पर अर्थात् 'ब्राह्मणे गवि हस्तिनी' (भगवद्गीता अध्याय 5, shloka 18 के अनुसार) ब्रह्मभावना से ब्रह्म-चिंतन और मनन करते हैं जो गौमेध-यज्ञ के समान है, कुछ राजर्षि अश्व के यथार्थ तत्व / स्वरूप पर (ऐतरेय-उपनिषद् / अध्याय 1, खण्ड 2, मंत्र 2 के अनुसार)
(ताभ्यो गामानयत्ता अब्रुवन्न वै नोऽयमलमिति ताभ्योऽश्वमानयत्ता अब्रुवन्न वै नोऽयमलमिति)
इस प्रकार से सभी ब्रह्मजिज्ञासु तथा ब्रह्मवेत्ता निरंतर यज्ञ में संलग्न रहते हैं .
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अन्याः मिश्रितकर्मिणः
अशुचयः मलिनमतयः |
नरमेध मनु युञ्ज्यन्ते
नरकाय वै ते नराः ||
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अर्थ :
(वहीँ दूसरी ओर) अन्य कुछ मलिन और अशुद्ध्बुद्धि वाले मनुष्य मनुष्यों की ह्त्या (को धर्म समझकर) मनुष्यों पर हिंसा में संलग्न रहते हुए नरकों के भागी होते हैं .
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