June 11, 2013

~ ~ मछलियाँ (कविता) ~ ~



4 comments:

  1. गहरे बिम्ब ....

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  2. धन्यवाद डॉ.वन्दना सिंह !! मुझे लगता है कि कविता दुरूह नहीं है ! मैंने मनुष्य की ’कहानियों’ की तुलना मछलियों से की है । इसे आप चाहें जितना विस्तार दें, या जितने सीमित अर्थ में ग्रहण करें !
    आशीष!

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