January 24, 2012

स्वरचित श्री गणेश स्तुति

स्वरचित श्री गणेश स्तुति 
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© Vinay Vaidya
25012012

शुभं दीयते सुखं चापि तव दर्शनेन शुण्डिमुख !
गतिं प्राप्यते जयं चापि तव दर्शनेन गजमुख !!
तव वाचको हि प्रणवो निगदतीति पतञ्जलिः
तदपि महिम्नं अपारं तव न जानेऽहं सम्यक्तया ।
एकाक्षर हे शुण्डिमुख ! हे गजमुख हे धुण्डिराज ।
हे विनायक विघ्नहारी ! देहि भक्तिं मे बुद्धिराज ॥


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