December 13, 2010

कविता से एक प्रश्न

~~~~~~कविता से एक प्रश्न ~~~~~~~

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(A Marathi poem by a facebook-friend,
Sudhakar Kulkarni,
rendered into Hindi, 
with his kind permission,
just for the joy of it)

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तू हिमालय की बर्फ़ीली चोटी,...
या क्षितिज पर फ़ैला इन्द्रधनुष,...
तू कार्तिक की वैभवशाली पूर्णिमा,...
या आषाढ़ में घिरी घनघोर घटा,...
तू स्रोतस्विनी की गहनता,...
या हेमन्त की हरसिंगार सी शीतलता,...
तू रेतीला विस्तीर्ण मरु,...
या नील निस्सीम आकाश,...
तू आषाढ़ की पहली बारिश,...
या श्रावण की अनवरत टप-टिप,...
तू मन्दाकिनी की नीली चन्द्रकोर,...
या गुलाब पर टिका अबोल अश्रु, ...
कविता, ओ लाड़ली , तू ऐसी कैसी रे ! ऐसी कैसी !!
तू ज्ञानी की अमृतवाणी,...
या तुका के मधुर अभंग,...
तू मीरा की गूढ़ पदावलि,...
या कबीर के दोहों की प्रज्ञा,...
तू रामदास का ’उदासबोध’,...
या मोरोपंत की ’केकावली’...
तू कवि बोरकर की ’चांदणवेल’,...
या कुसुमाग्रज की ’हिमरेशा’,...
तू केशवसुत रचिता ’तुतारी’,...
या ’बालकवि’का बावरा ’औदुम्बर’,...
तू पाडगाँवकर की ’धारानृत्य’ छोरी,...
या भट-रचित अपना ही ’आगार’,...
तू आरती प्रभु कृत ’नक्षत्राचे देणें’,...
या ग्रेस की ’सांजभयाची साजणी’,...
कविता, अरी ओ देवी, तू ऐसी कैसी रे, ...ऐसी कैसी 
तू विष्णु के क्षीरसागर का ब्रह्मकमल,...
या यीशु के मुख पर स्थित ख्रिश्तीय वेदना,...
तू रणवीर की तलवार की नोंक,...
या स्वातन्त्र्यवीर के हौतात्म्य का बलिदान,...
तू श्रमिक के माथे पर आया सीकर-बिन्दु,...
या समाज के कर्णधारों के मन का तनाव,...
तू भूख से तड़पते बच्चों की माता के नयनाश्रु,...
या बोस्निया के संघर्ष की चिंगारी,...
तू वसुन्धरा का ग्रीनहॉउस इफ़ेक्ट,...
या नाभिकीय अस्त्रों की स्पर्धा में संलग्न अनुसंधान,...

कविता, कम्बख़्त,  तू ऐसी कैसी रे,... ऐसी कैसी 
तू प्रेयसि के गाल की लाली,...
या नेत्रभ्रम,...
तू ऊर्जस्वल स्वप्नों की भोर,...
या वेदना की सायंकातर बेला,...
तू भावनाओं का उत्स्फूर्त आविष्कार,...
या केवल कोरा शब्दाडम्बर,...
तू नवोन्मेष विलासी प्रतिभा,...
या कि उसका ही तरल आविष्कार,...
तू भावसत्य की पुनर्निर्मिति,...
या कि भाससत्य का धारानृत्य,...
तू मात्र प्रतिमाओं की भाषा,...
या प्रतिमाओं की शुभ्र चाँदनी रात्रि,... 
कविता, अरी पगली, तू ऐसी कैसी रे, 
.....अरे ऐसी कैसी ??  


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4 comments:

  1. निराली रचना, मानों कविता का ललित कोश.

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  2. राहुल सिंहजी,
    वैसे यह मूलतः एक मराठी कविता का हिन्दी अनुवाद-मात्र है,
    और मूल-रचना की दृष्टि से आपकी टिप्पणी सर्वथा उपयुक्त ही
    है,....
    टिप्पणी लिखने के लिये आभार !
    सादर,

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  3. kaafi acchi poem hain
    accha laga aapake blog par aakar
    and khaskar ye jankar ke aap bhi ujjain se hain

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